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चाह सके कुछ नहीं भी मम्मी आप भी न सोचा न था धीरज तो हम कभी न छोड़ें मुश्किल हो दौर दूज़ी लहर काबू है हमने पाया डबल मास्क दो गज़ की दूरी श्वान भौंक रहे भौंकने दो विश्वगुरु फिर बनेगा जग सिरमौर बड़ी बनूँ कुछ मैं भी

Hindi बिगाड़ सके न कुछ भी कोरोना Poems